महामृत्युंजय मंत्र (भगवान शिव का रक्षा मंत्र)

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
.

अर्थ:

– परमात्मा का पवित्र नाम

त्र्यम्बकं – तीन नेत्रों वाले (भगवान शिव)

यजामहे – हम पूजन करते हैं

सुगन्धिं – दिव्य सुगंध वाले

पुष्टि-वर्धनम् – पोषण और समृद्धि बढ़ाने वाले

उर्वारुकम् – पकने वाला फल (जैसे खीरा या ककड़ी)

इव – जैसे

बन्धनान् – बंधनों से

मृत्योर् – मृत्यु से

मुक्षीय – मुक्ति दें

मा अमृतात् – अमरत्व से वंचित न करें

हम भगवान त्रिनेत्रधारी शिव की उपासना करते हैं, जो सुगंधित और पोषण देने वाले हैं। जैसे पक कर ककड़ी बेल से स्वतः अलग हो जाती है, वैसे ही हम मृत्यु के बंधनों से मुक्त हो जाएँ, लेकिन अमरत्व की प्राप्ति हो।


हम त्रिनेत्रधारी शिव की उपासना करते हैं, जो जीवनदायी सुगंध से परिपूर्ण हैं। जैसे ककड़ी पक जाने पर बेल से अलग हो जाती है, वैसे ही हम मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाएँ, परंतु अमरत्व की प्राप्ति हो।

लाभ:

महामृत्युंजय मंत्र के लाभ:

  1. 🧠 मानसिक शांति और भय से मुक्ति
  2. 🛡️ रोग, दुर्घटनाओं और बुरी शक्तियों से रक्षा
  3. ❤️ शारीरिक स्वास्थ्य और रोगमुक्त जीवन
  4. 🙏 जीवन में संकटों से उबारने वाली शक्ति
  5. 🧘‍♀️ ध्यान और साधना के लिए अत्यंत प्रभावी
  6. ⚰️ किसी रोगी, मरणासन्न व्यक्ति के लिए जप करने से जीवन रक्षा में सहायता
  7. 🔁 कर्मों का शुद्धिकरण और आध्यात्मिक उन्नति

रोग निवारण, जीवन रक्षा, मानसिक शांति, दीर्घायु

जप विधि:

📅 समय:

  • सुबह ब्रह्ममुहूर्त (4–6 बजे) सर्वोत्तम
  • संकटकाल, बीमारी या अमावस्या आदि विशेष तिथियों पर भी करें

📿 संख्या:

  • 108 बार प्रतिदिन (रुद्राक्ष माला से)
  • अधिक शक्ति के लिए 1100,10008 बार जप (अनुष्ठानिक रूप से)

🪷 विधि:

  1. शुद्ध होकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर आसन पर बैठें।
  2. रुद्राक्ष माला से जप करें।
  3. भगवान शिव की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  4. जल, बेलपत्र, धूप आदि से पूजन करें।
  5. श्रद्धा और पूर्ण एकाग्रता के साथ जप करें।

📌 विशेष सुझाव:

  • इस मंत्र का जप गुरु दीक्षा लेकर करना सर्वोत्तम होता है, लेकिन श्रद्धा से कोई भी कर सकता है।
  • आप किसी रोगी या संकटग्रस्त व्यक्ति के लिए भी इसका जप कर सकते हैं , यह प्रार्थना की सर्वोच्च शक्ति मानी जाती है।

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